श्रीमती प्रीति ठाकुरक पोथी “मिथिलाक लोक देवता” आ विदेह समानान्तर साहित्य अकादेमी मूल पुरस्कारसँ पुरस्कृत पोथी “गामक जिनगी” (जगदीश प्रसाद मण्डलक कथा संग्रह) , ऐ दुनू पोथीक एकहक सए प्रतिक वितरण श्रुति प्रकाशन केलक।
मैथिली कथा लेखनक क्षेत्रमे शान्त क्रान्तिक ऐ 75म गोष्ठीक दीप प्रज्वलित कऽ विधिवत् उद्घाटन केलनि श्री राजमोहन झा। स्वागत केलनि श्री अशोक। अध्यक्षता केलनि श्री उग्रनारायण मिश्र ‘कनक’, संचालन डॉ. तारानन्द वियोगी। मुख्य अतिथि श्री श्यामानन्द चौधरीक उपस्थितिमे कार्यक्रमकेँ आगाँ बढ़ाओल गेल पोथी लोकार्पण सत्रसँ जइमे 12 गोट पोथीक लोकार्पण क्रमश: ऐ तरहेँ भेल-
1. निबंध सुधा (निबंध संग्रह, सुधा कुमारी) लोकार्पण श्री मोहन भारद्वाज।
2. जखन तखन पत्रिका (प्रेम विशेषांक, संपादक विभूति आनंद, अशोक मेहता) लोकार्पण डॉ. वासुकीनाथ झा।
3. कोसी कातक गंगा (संस्मरण, साकेतानन्द) श्रीमती उषा किरण खाँ।
4. ऐ अकावोनमे (कविता संग्रह, राज) लोकार्पण- डॉ. रामानन्द झा ‘रमण’
5. जुबैदा (कथा संग्रह, उग्रनारायण मिश्र ‘कनक’) लोकार्पण केलनि श्री राजमोहन झा।
6. समय साक्षी थिक (लघुकथा संग्रह, अनमोल झा)- डॉ. देवशंकर नवीन आ श्री उग्रनारायण मिश्र ‘कनक’।
7. गंग नहौन (कविता संग्रह, निशाकर) डॉ. तारानंद वियोगी।
8. बेटीक अपमान आ छीनरदेवी (नाटक, बेचन ठाकुर)- श्री राजमोहन झा।
9. अनचिन्हार आखर (गजल संग्रह, आशीष अनचिन्हार)- लोकार्पण- श्री जगदीश प्रसाद मण्डल, श्री श्याम दरिहरे, श्री अनमोल झा।
10. जेना जनलियनि (संस्मरण, महेन्द्र नारायण राम ‘नीलकमल’)- लोकार्पण श्री मन्त्रेश्वर झा।
11. सीतावतरण (खण्डकाव्य, संपा. योगानंद झा) लोकार्पण श्री मोहन भारद्वाज।
12. गाममे (नेपाली भाषाक कविता संग्रह ‘गाओंमे हरू’ मूल कवियत्री रेमीका थापा केर मैथिली अनुवाद, प्रदीप बिहारी) लोकार्पण श्री अशोक।
लोकार्पण सत्रक पछाति कथा सत्रक शुभारम्भ भेल जइमे नवोदित कथाकारक संग स्थापित कथाकार लोकनि अपन-अपन नूतन कथा/लघुकथाक पाठ केलनि जेकर सुची क्रमश: ऐ तरहेँ अछि-
तारानंद वियोगी- वैदिक हिंसा
मन्त्रेश्वर झा दूटा लघुकथा- जगरनाथ, उजारि
बेचन ठाकुर दूटा लघुकथा- भुखाएल आ अबाम
उमेश मण्डल दूटा लघुकथा- चाेर-सिपाही आ काल्हि दिन
रघुनाथ मुखिया- प्रलोभन आ निचेन समयमे
दुगानन्द मण्डल- पोस्टमार्टम आ प्रदूषन
अजय कुमार मिश्र- उठह हौ वनियाँ हाट-बजार
निक्की प्रियदर्शनी- पलायन
धीरेन्द्र कुमार- मररिया चेतल
जगदीश प्रसाद मण्डल- परिवारक प्रतिष्ठा
हीरेन्द्र- हाष्यपर व्यंग फ्री
अर्द्धनारीश्वर- घोड़ा घास
रामविलास साहु- स्वर्गक सुख
शिवकुमार मिश्र- प्लेटफार्म
उमेश नारायण कर्ण- अन्धविश्वास
सुरेश पासवान- बगुलाक सरदार
जगदीश कुमार भारती- धुरफन्दीलाल
ऋृषि बशिष्ठ- देश प्रेम
विभूति आनन्द- वन-वे ट्रेफिक
देवशंकर नवीन- मोटर साइकिल
भवनाथ झा- मंडनक मनोभाव (650-670 ऐतिहासिक घटना)।
अधिक कथाकारक जमघट भेने पठीत कथा सभपर समीक्षामे थोड़ेक कंजुशी कएल गेल। जे स्वभाविक छल। मुदा तैयो किछु कथापर किछु विशेष टिप्पणी अाएल जेना तारानंद वियोगीक पठित कथा- वैदिक हिंसा’पर जगदीश प्रसाद मण्डल कहलनि- यथार्थवादी कथा पूर्णतामे कंजूसी। सम्प्रदाय, धर्म आ अध्यात्म, तीनू तीन। कथा एक अंगक, मात्र समस्याक। समस्याक कारण आ निदान सेहो होय।
तहिना कोदारि कथापर दुगानंद मण्डल कहलनि- शीर्षकक सार्थकताक अभाव। अही तरहेँ भवनाथ झाक पठित- मण्डनक मनोभाव’ कथापर धनाकार ठाकुर कहलनि- ऐ कथाक मादे वेदक निंदा कऽ मण्डन मिश्रकेँ गैर ब्राह्मण विरोधी बताओल गेलहेँ। जे गलत अछि। जेकर कोनो प्रमाण नै। तइ लेल हम एकरा वहिष्कार करैत छी। कहैत डॉ. धनाकर ठाकुर गोष्ठीसँ बाहर निकलि गेलाह! चलि गेलाह!!
अंतमे, अगिला गोष्ठीक आयोजन हेतु प्रस्ताव लेल घोषणा कएल गेल। पूर्व प्रस्तावमे हजारिये बागसँ दूटा छल जे क्रमश: अर्द्धनारीश्वर आ प्रदीप बिहारीक छलनि। एकटा नव प्रस्ताव डॉ. देवशंकार नवीन जीक आएल। ऐ तीनू प्रस्तावमे अर्द्धनारीश्वरक प्रस्ताव रहनि बोकारोमे हुअए। जे 74म कथा गोष्ठी हजारिये बागसँ प्रस्तावक छलाह। मुदा प्रदीप बिहारी प्रस्तावक तँ अहुठाम बनलाह जे अगिला गोष्ठी बेगुसरायमे हुअए मुदा जहिना हजारीबागक गोष्ठीमे पटना भेने चूप भऽ समर्थके बनि गेल छलाह तहिना अहुठाम 76म गोष्ठी बेगुसरायमे हुअए तकर प्रस्तावक बनलाह मुदा देवशंकर नवीनक प्रस्ताव दिल्ली लेल एने चूप भऽ समर्थक बनि गेलाह।
अर्द्धनारीश्वरक बातपर कोनो विचार नै कएल गेल। अर्द्धनारीश्वर एक बेर बजेत सुनल गेलाह- ‘अर्जी ककरो मर्जी ककरो’।
िनर्णए भेल जे अगिला गोष्ठी दिल्लीमे डॉ. देवशंकर नवीनजी संयोजकत्वमे कएल जाएत। उपस्थिति पुस्तिका आ दीप डॉ. देवशंकर नवीन जीकेँ सौंपैत गोष्ठी शेष भेल।
िनर्मली, सुपौल।
{ऐ सन्दर्भमे श्री परमेश्वर कापड़िजीक भूतकालमे देल सुझाव:
मैथिली कथाक परिवेश आ प्रवृति विमर्श
आजुक अपरिहार्य आवश्यकता अछि— नेपालक मैथिली कथाक प्रभाव आ प्रभुत्वपर, एकर विस्तृत परिधि आ पहुँचके सन्दर्भमे, एकर परिवेश आ प्रकृतिपर जमिक’, जुटिक’ विमर्श करब ।
मैथिली कथाक ऐतिहासिकता आ रचनाधर्मिताक समग्र आयाम बहुत विस्तृत आ परम ऐतिहासिक रहनहुँ, एकर
— पाठकीय समस्या तथा समीक्षात्मक मूल्याँकनक संकट,
— बदलैत परिप्रेक्ष्यमे, मोह भंगक स्थितिवोध,
— आधुनिक, उत्तर–आधुनिकताक चुनौती आ मूल्य संक्रमणक स्थिति,
— युग परिवत्र्तन आ परिवत्र्तित परिप्रेक्ष्यमे मूल्य संघर्षक दिशा,
— प्रमाणिक परिवेश आ लोकसरोकारी आवाजक आवेग,
— समयसंग साक्षात्कार आ सृजनात्मक रचना प्रक्रियापर, खुलिक’ बात करब ।
०००
एहि कथा–गोष्ठीक उद्देश्यक आवेग महत्वाकाँक्षी रहल अछि आ बहुत किछु उपलव्धीमूलक पाबए चाहैत अछि । एहनमे बड़ नीक रहत जे मैथिली कथाक
— सामाजिक सन्दर्भ — - Social Context _
— सांस्कृतिक सन्दर्भ — -Cultural '' _
— राजनैतिक सन्दर्भ — { -Political '' _
— वैचारिक सन्दर्भ - Ideological '' _
— समसामयिक सन्दर्भ - Contemporaneous context _
— प्राायोगिक सन्दर्भ - Experimental context _ पर
ठाठस’ ठठिक’, जमिक’ जाँघ जोड़िक’ एकठौहरी एकमुहरी भ’ एकर समग्र मुद्दा आ विषय–परिदृशयके एहन सानि–मथिक’ निष्कर्षपर पहुँची जे एकर रचनाधर्मिता आ लेखन–प्रक्रियाके समेकित ऊर्जा आ उत्साह दैक आ एकटा ठोस दिशानिर्देश ई पाबए ।
समकालीन मैथिली कथालेखनक अवलोकन आ पठित कथाके प्रतिक्रियात्मक टिप्पणीस’ कथाकारके रचनात्मक ऊर्जा आ विश्वास प्रदान करबाक हेतुए अपन धारणा सहित, अपन विचारात्मक निर्देशकीय भूमिकास’ उत्साहजनक स्थिति–परिस्तिथि निमार्ण करैत, गोष्ठीके ऐतिहासिकता प्रदान कएल जाय !
प्रा.परमेश्वर कापड़ि
२०६८/८/०४ गोष्ठी संयोजक
श्रीरामानन्द युवा क्लव, जनकपुरधाम }
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