भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

भालसरिक गाछ/ विदेह- इन्टरनेट (अंतर्जाल) पर मैथिलीक पहिल उपस्थिति

(c) २०००-२०२२ सर्वाधिकार सुरक्षित। विदेहमे प्रकाशित सभटा रचना आ आर्काइवक सर्वाधिकार रचनाकार आ संग्रहकर्त्ताक लगमे छन्हि।  भालसरिक गाछ जे सन २००० सँ याहूसिटीजपर छल http://www.geocities.com/.../bhalsarik_gachh.html , http://www.geocities.com/ggajendra   आदि लिंकपर  आ अखनो ५ जुलाइ २००४ क पोस्ट http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   (किछु दिन लेल http://videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html   लिंकपर, स्रोत wayback machine of https://web.archive.org/web/*/videha   258 capture(s) from 2004 to 2016- http://videha.com/  भालसरिक गाछ-प्रथम मैथिली ब्लॉग / मैथिली ब्लॉगक एग्रीगेटर) केर रूपमे इन्टरनेटपर  मैथिलीक प्राचीनतम उपस्थितक रूपमे विद्यमान अछि। ई मैथिलीक पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे १ जनवरी २००८ सँ "विदेह" पड़लै। इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल उपस्थितिक यात्रा विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका धरि पहुँचल अछि, जे http://www.videha.co.in/   पर ई प्रकाशित होइत अछि। आब “भालसरिक गाछ” जालवृत्त 'विदेह' ई-पत्रिकाक प्रवक्ताक संग मैथिली भाषाक जालवृत्तक एग्रीगेटरक रूपमे प्रयुक्त भऽ रहल अछि। विदेह ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA

 

(c)२०००-२०२२. सर्वाधिकार लेखकाधीन आ जतऽ लेखकक नाम नै अछि ततऽ संपादकाधीन। विदेह- प्रथम मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका ISSN 2229-547X VIDEHA सम्पादक: गजेन्द्र ठाकुर। सह-सम्पादक: डॉ उमेश मंडल। सहायक सम्पादक: राम वि‍लास साहु, नन्द विलास राय, सन्दीप कुमार साफी आ मुन्नाजी (मनोज कुमार कर्ण)। सम्पादक- नाटक-रंगमंच-चलचित्र- बेचन ठाकुर। सम्पादक- सूचना-सम्पर्क-समाद- पूनम मंडल। सम्पादक -स्त्री कोना- इरा मल्लिक।

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स्थायी स्तम्भ जेना मिथिला-रत्न, मिथिलाक खोज, विदेह पेटार आ सूचना-संपर्क-अन्वेषण सभ अंकमे समान अछि, ताहि हेतु ई सभ स्तम्भ सभ अंकमे नइ देल जाइत अछि, ई सभ स्तम्भ देखबा लेल क्लिक करू नीचाँ देल विदेहक 346म आ 347 म अंक, ऐ दुनू अंकमे सम्मिलित रूपेँ ई सभ स्तम्भ देल गेल अछि।

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उमेश मण्डल ‘सगर राति दीप जरय’क ९३म आ ९४ म आयोजन


उमेश मण्डल
‘सगर राति दीप जरय’क ९३म आ ९४ म आयोजन
25 मार्चक राति, रतनसारा गाममे जे ‘सगर राति दीप जरय’क 93म कथा-साहित्‍य गोष्‍ठी सम्‍पन्न भेल, तइमे बीहैन आ लघु मिला दू दर्जनसँ बेसी कथाक पाठ भेल। सात पालीमे कथा सभकेँ मंचपर पढ़ल गेल आ तैपर समीक्षक लोकैन समीक्षा करैत भरि रातिक समए केना बितौलैन से किनको नहि पता चलल। भोर नहि, भिनसर धरि गोष्‍ठी दनदनाइत रहल। समीक्षक, आलोचक आ कथाकारक संग श्रोता सेहो सगर राति जागि गोष्‍ठीक आनन्‍द लैत रहला। ओना तँ गोष्‍ठीक आरम्‍भ साझे, करीब छबे बजे भेल मुदा कथा पाठक क्रम रातिक आठ बजेसँ, जेकरा दोसर साँझ सेहो कहि सकै छी-भेल। दीप प्रज्‍वलनक पछाति स्‍वागत, स्‍वागत भाषण, पोथी लोकार्पण, लोकार्पित पोथी सभपर टिप्‍पणी इत्‍यादिमे करीब दू घन्‍टा लागिए जाइए। तहूमे चारिटा पोथीक लोकार्पण छल। जइमे पहिल छल श्री राजदेव मण्‍डल रचित उपन्‍यास- ‘जल भँवर’, दोसर- श्रीमती मुन्नी कामतजीक काव्‍य संग्रह- ‘सुखल मन तरसल आँखि’ आ तेसर तथा चारिम छल लघु कथा-संग्रह- ‘बीरांगना’ आ ‘स्‍मृति शेष’ जेकर रचियता छैथ- श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डलजी। श्री मण्‍डलजी एवं डॉ योगेन्‍द्र पाठक वियोगी, प्रो. शिव कुमार प्रसाद तथा श्री नारायण यादवजीक अध्‍यक्षता एवं श्री दुर्गानन्‍द मण्‍डल, श्री उमेश पासवान तथा उमेश मण्‍डलक (अर्थात् अपने) संचालनमे सगर रातिक ऐ साहित्‍यिक कार्यक्रमकेँ मंचप सफल बनौल गेल, जइमे कथा सभ जे आएल छल तेकर शीर्षक निम्‍न अछि- 1. टुटैत मनक जुड़ाउ, 2. घुरि गाम चलु, 3. देशक इतिहास, 4. टुटल मन, 5. छोटकू दोस, 6. अछूत, 7. दादा, 8. स्‍टार्टर, 9. हमर पत्नीक मनोरथ, 10. कर्म मुक्‍ति, 11. लौल, 12. गामक कटान, 13. बोझ, 14. गोमुखी, 15. हिन्‍दु-मुस्‍लिम भाई-भाई, 16. ठिठर काका, 17. रोहानी, 18. मानव संग माछ, 19. शराब संगे शराबी, 20. दूध बेचनी चमेली, 21. तोबा बनल अंग्रेज, 22. लकबाबला, 23. घरक बाँस, 24. अन्‍धविश्‍वास, 25. भितरिया चोट।
अखन तत्‍काल अपनौं लोकैन निम्न कथाक आनन्‍द lel jau
भितरिया चोट
चाहक दोकान लग किछु लोक ठाढ़ छल आ किछु बैसल छल। गप्‍पक छरक्का छुटि रहल छेलइ। विषय छेलै- आइ-काल्‍हिक लोक सभटा काज स्‍वार्थेक कारण करै छइ।
मुदा हम ऐ बातपर अड़ल देलौं जे किछु काज लोक ओहनो करैत अछि जइमे कोनो स्‍वार्थ नइ रहै छइ। जइ काजकेँ ‘उपकार’ कहल जाइ छइ।
एम.एल.ए.क चुनाउ होइबला छेलइ। चुनाउक समैमे तँ पुलिसकेँ जेना पाँखि लगले रहै छइ। तखैने ओइठाम एकटा पुलिसिया गाड़ी रूकल। रूकल नहि बल्‍कि रोकए पड़लै। कारण छेलै, एकटा साइकिल सड़केपर ठाढ़ छेलै आ साइकिलबला केतौ चलि गेल छल।
एकटा सिपाही गाड़ीसँ उतैरते बाजल-
“केकर साइकिल छियौ रौ? साहैबक गाड़ी रूकल छइ। हटेबें जल्‍दी आकि देखबीही।”
मुदा कियो साइकिल हटेबाक लेल नहि आएल। सिपाही पूरा तमसा गेल छल। ओकर रौद्र रूप देख हम जेना भीतरसँ डेरा गेल रहौं। हम तेजीसँ गेलौं आ साइकिलकेँ हटबए लगलौं। कमजोर रहने कनी अस्‍थिरसँ हटबै छेलौं। डरेबर बारम्‍बार हॉर्न बजा रहल छेलइ। सिपाही डण्‍टासँ हमरा पजरामे गोंजी मारैत बाजल-
“तोहर खतियानी रोड छियौ। टेर मारैत केना चलैए! देखै नइ छै जे साहैबकेँ लेट होइ छइ!”
हड़बड़ाइत आगू बढ़लौं कि रोडक कातमे साइकिल नेने खसि पड़लौं।
चाहक दोकापर लोक ठिठिया कऽ हँसि देलक। पुलिसिया गाड़ी हॉर्न दैत चलि गेल।
एक गोरे टिटकारी मारैत बाजल-
“की यौ उपकारीजी, की भेल?”
डण्‍टासँ तँ कमे चोट लगल छल मुदा ‘की यौ उपकारीजी, की भेल’ सुनि भितरिया चोट जेना कुहरा देलक। लोक दिस तकलौं तँ लगल जेना नँगटे ठाढ़ छी। लाजे मुड़ी गोंतने विदा भऽ गेलौं।◌ कथाकार- श्री राजदेव मण्‍डल।◌
टुटैत मनक जुड़ाउ
मन टुटने जहिना अपना संग दुनियाँ टुटए लगै छै तहिना हमरो भेल। हलाँकी मनो सबहक एके कारणे नइ टुटै छै, सबहक अपन-अपन-अपन-फराक-फराक कारण रहै छै। हँ, किछु कारण एहेन जरूर अछि जे एक-दोसरसँ मिलैए। तँए कारणक महत्‍ केकरोसँ केकरो कम अछि सेहो नहियेँ कहल जा सकैए। जँ से रहैत तँ अपने चलियो जाइत आ दुनियाँसँ सम्‍बन्‍ध रखैत वा दुनियेँसँ चलि जाइत आ अपनासँ रखैत, सेहो तँ नहियेँ अछि तँए सबहक महत्‍वक महत अछिए। तहिना ने जुड़ाउ सेहो छी। ओना, टुटब आ जुड़व दुनू विपरीत पाशापर अछि, किन्‍तु पाशापर दुनू नइ अछि सेहो नहियेँ कहल जा सकैए। भलेँ एक प्रेम-स्‍वरूप आ दोसर वियोगे-स्‍वरूप किए ने हुअए।
ओना, टुटैत मनक क्रिया एकरंगाहो होइए आ एकरंगाह नहियोँ होइए। भलेँ गाछ-गाछमे अन्‍तर रहने फलो आ फलक सुआदोमे अन्‍तर किए ने होइत हौउ मुदा फलाफल तँ प्राय: एकरंगाहे होइए। अर्थात्‍ जिनगीक अन्‍त वा एक दुनियासँ दोसर दुनियाँ जाएब तँ एकरंगाहे होइए। तँए ने कियो अपन जान दइले कनैलक बीआ फोड़ि खाइए तँ कियो सम्‍पन्नता रहितो बालो-बच्‍चा आ विवाहित संगियोँ छोड़ि आन घर चलि जाइए। तहिना कियो रेलगाड़ीमे कटैले पहिया-तरमे गरदैन दइए तँ कियो गरदैनमे फँसरी लगा घरक धरैनमे लटैक जाइए, चाहे पंखामे झूलि जाइए। मुदा तँए कि सभ एक्केरंग अछि, सेहो नहियेँ कहल जा सकैए। किछु एहनो तँ ऐछे जेकर अपन जुड़ाउ अपना संग आनोसँ रहने दुनियोँक संग ऐछे जइसँ अपन कोन बात जे आनो-ले अपन जान गमैबते अछि।
अस्‍तु अपनो आ अपन परिवारो आ दुनियोँक संग मन टुटैक कारण अपन अपने अछि। खाएर जे अछि सएह अहाँ सभकेँ सुनबै छी।
विद्यार्थी-जीवनमे जखन रही तखन बुझिलिऐ जे अपना-ले थोड़े पढ़ै छी माइये-बाप-ले पढ़ै छी, तेकर गवाहियो भेटिये जाइत रहए। गवाही ई भेट जाइत रहए जे जँ अपना-ले पढ़ितौं तँ अपने मन ने तैयार होइतइ, माता-पिताकेँ किए कहए पड़ै छैन, हुनका सभकेँ कोन खगता छैन। जँ अपन-अपने होइए तखन हुनको सभकेँ ने अपने काज दइतैन तइले हमरा पाछू किए पड़ै छैथ..?
बचकानी मन दुआरे आकि पढ़ैसँ देह चोरबै दुआरे, से नहि बुझि पबिऐ, तँए स्‍कूल-कौलेजक तँ खानापुरी करैत रहलौं मुदा पुरी-खाना नइ बुझि पबी। तँए भुसकौलोसँ भुसकौल होइत गेलौं। ई तँ बुझू कहुना कऽ जान बँचल जे थर्ड डिवीजनसँ बी.ए. पास कऽ गेलौं। नोकरी करै-जोगर तँ बनियेँ गेलौं, तँए जेतबे-तेतबे दिन-ले मनमे संतोखो भाइए गेल आ मातो-पिता अपन बेटाक कर्जसँ मुक्‍त भेला, तँए हुनको सबहक मनमे खुशी एबे केलैन जइसँ पितृ-सिनेहमे बढ़ोतरीए भेल जे कमल नहि। अपन दोसर ऋृण माता-पिता ईहो चुका लेलैन जे समैपर बिआहो काइए देलैन। ओइ समयमे माता-पितापर आश्रित जिनगी रहए, तँए बिआहक बेसी विचार अपनो किए करितौं, खुशी-खुशी बिआहो काइए लेलौं। बिआह होइते सासुर सन अड्डा भेटिये गेल। आबाजाहीमे आनसँ कनी बेसीए प्रेम रहल।
बी.ए. पास रहबे करी तँए मनमे आशा भरले रहए जे एतेटा देशमे जखन छी आ एते लोककेँ जखन नोकरी भेबे केलै तँ हमरा किए ने हएत। मुदा समय निकलल जाइत रहइ। बिआहक पछाइत पत्नियोँ कहलैन, आ संगियोँ-साथी हुथलक, तखन अखबारमे पढ़ि-पढ़ि भँजिया-भँजिया नोकरीक दरखास दिअ लगलौं।
केतौ लिखित परीक्षामे पासो करी तँ मौखिकमे छँटा जाइ, किए तँ किताबमे पढ़ल रहैत तखन ने बिसवासक संग भरल-पूरल जवाब देतौं से तँ मने थरथरा जाए। जइसँ बोलीए बन्न भऽ जाए, फेल कऽ जाइ। अन्‍तो-अन्‍त नोकरी नहियेँ भेल।
जिनगीक आशा टुटए लगल। टुटैत-टुटैत एते टुटि गेल जे जिनगीए-सँ घृणा भऽ गेल। घृणित मन अपनासँ लऽ कऽ दुनियाँ धरिसँ टुटि गेल। जखन सभसँ टुटिये गेल तखन मरबे नीक छल तँए सोचैत-विचारैत गरदैनमे फँसरी लगा धरैनमे लटकए लगलौं। मुदा पत्नी देख लेलैन। हलाँकी घरक संग खिड़कियो बन्न कऽ देने रहिऐ, पता नहि, केना देख लेलैन- लगैए खिड़कीक दोग-देने देख लेलैन।
गरदैनमे फँसरी लगा जखन फाँसीपर चढ़ए लगलौं कि पत्नी हल्‍ला केलैन। ओना, जौड़क दोस छोर दोसर दोसर खुट्टामे नइ बन्‍हने छेलौं, तइ बिच्‍चेमे हल्‍ला भेल! केबाड़ तोड़ि गरदैनमे जौड़ बान्‍हल सभ देखलैन। अपन मने हेरा गेल जे की केलौं तँ किछु ने!
हल्‍ला सुनि जीवन काका सेहो एला। अबिते बजला-
“ईह बुड़ि कहीं केँ! जेकरा हाथमे रूखाने-बैसला नइ रहत ओ गाम कमा गुजर कऽ लेत।”
ओना जीवनो काका तमसाएले बुझेला, मुदा अपनो मनमे मरैक तामस चढ़ले रहए। बिधुआएल मुहेँ की बजितौं, तैयो कहलयैन-
“काका बड़ गलती भेल।”
जीवन काका बजला-
“बड़ गलती नइ भेलह, भेलह एतबे जे जहिना तूँ समैयक महत्‍ नइ देलहक, तहिना समैयो तोरा छोड़ि देलकह।” ◌उमेश मण्‍डल◌

1990 इस्‍वीमे आरम्‍भ भेल मैथिली साहित्‍यक प्रमुख कथा-संगोष्‍ठी ‘सगर राति दीप जरय’क 94म आयोजन जाल्‍पा मध्‍य विद्यालय परिसर- लौफा (मधेपुर)मे 24 जून 2017 संध्‍या 6 बजेमे शुरू भ’ भिनसर 6 बजेमे सम्‍पन्न भेल। डॉ. योगेन्‍द्र पाठक ‘वियोगी’ (वैज्ञानिकजी) केर संयोजकत्‍वमे आयोजित ऐ सगर रातिक कथा संगोष्‍ठीक उद्घाटन केलैन मैथिली साहित्‍यक सर्वश्रेष्‍ठ रचनकार श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल। श्री अरविन्‍द ठाकुर, डॉ योगानन्‍द झा, श्री केदार नाथ झा, डॉ. शिव कुमार प्रसाद एवम्‍ डॉ. योगेन्‍द्र पाठक ‘वियोगी’क संग दीप प्रज्‍वलन कार्यक्रमकेँ आगाँ बढ़ौल गेल। श्रीमती कुसुमलता झा, श्री फुलेन्‍द्र पाठक, राम सेवक ठाकुर एवम्‍ श्री राम किशोर सिंह स्‍वागत गीत एवम्‍ डॉ. योगेन्‍द्र पाठक ‘वियोगी’क स्‍वागत भाषणक संग पोथी लोकार्पण सत्रमे प्रवेश भेल।
पाँच गोट पोथीक लोकार्पण भेल। जइमे पहिल पोथी छल डॉ. योगेन्‍द्र पाठक ‘वियोगी’क द्वारा अनुदित- ‘रोबो’। रोबो चेक भाषामे कारेल चापेक द्वारा लिखित ‘RUR’ नामक नाटक अछि, जेकर अंग्रेजी अनुवाद पॉल सेल्‍वर नामक लेखक केलैन। रोबोक लोकार्पण श्री अरविन्‍द ठाकुरजीक हाथे भेल। दोसर एवम्‍ तेसर पोथी छल श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डलक मौलिक कृति लघुकथा संग्रह- ‘बेटीक पैरुख’ तथा ‘क्रान्‍तियोग’। बेटीक पैरुख’क लोकार्पण केलैन- डॉ. शिव कुमार प्रसाद एवम्‍ ‘क्रान्‍तियोग’क लोकार्पण कर्ता छला- श्री दुर्गानन्‍द मण्‍डलजी। चारिम पोथी छल श्री राम विलास साहुक रचित काव्‍य संग्रह- ‘कोसीक कछेर’, जेकर लोकार्पण केलैन- श्री राजदेव मण्‍डल आ पाँचम पोथी छल श्री बेचन ठाकुर द्वारा रचित नाटक संचयन- ‘नबघर’। ‘नबघर’क लोकार्पण केलैन डॉ. शिव कुमार प्रसाद।
लोकार्पित पाँचू पोथीक सन्‍दर्भमे लोर्कापण कर्ता अपन-अपन संक्षिप्‍त मनतव्‍य व्‍यक्‍त केलैन। ‘रोबो’क सन्‍दर्भमे श्री अरविन्‍द ठाकुर कहलैन- आइसँ करीब साए बर्ख पूर्व ऐ पोथीकेँ चेक भाषामे लिखल गेल छल, जेकरा मैथिली साहित्‍यमे डॉ. ‘वियोगी’ भावा अनुवाद केलैन। ‘रोबॉट’क कपल्‍पना कारेल चापेक आइसँ साए बर्ख पूर्व केने छला जे आइ अपना सबहक सोझ अछि। नाटकमे ईहो देखौल गेल अछि जे केना रोबॉट मानवक संहार करैए...।
‘बेटीक पैरुख’ कथा संग्रहक सन्‍दर्भमे डॉ. शिव कुमार प्रसाद कहलैन- बेटीक पैरुख संग्रहक सभटा कथा महिला सशक्‍तीकरणपर आधारित अछि। जँ पाठक आत्‍मसात् करैथ तँ स्‍वत: हुनकामे आत्‍मनिर्भता केना जागि जेतैन यएह ऐ पोथीमे संकलित सभ कथाक उत्‍ष अछि।
‘क्रान्‍तियोग’ लघु कथा संग्रहक सन्‍दर्भमे श्री दुर्गानन्‍द मण्‍डल कहलैन- बेकती अपने-आपमे अपन गुण-दोष केना चिन्‍हित करता तथा दोष मुक्‍त केना हेता, समयक संग चलबाक खगताकेँ केना बुझता तथा समयक संग मानवीय चेतनाकेँ जगबैत चलैले केना आ कोन बाटपर चलता इत्‍यादि ऐ संग्रहमे कथाकार अपन कथाक माध्‍यमे कहलैन अछि।
 
‘कोसीक कछेर’ काव्‍य संग्रहक सन्‍दर्भमे श्री राजदेव मण्‍डलजी कहलैन- कवि राम विलास साहुजी कोसी कातक वासी छैथ, कोसीक कछेरमे जीवन-यापन करै छैथ, अपन जीवनक अनुभवकेँ श्री साहुजी अपन काव्‍य सभमे बिना कोनो छान-बान्‍हक एव धरी-धोखाक रखलैन अछि।
‘नबघर’ पोथीक सन्‍दर्भमे डॉ. शिव कुमार प्रसाद कहलैन- ऐ पोथीमे चारि गोट नाटक/एकांकी अछि। चारू रचनामे वर्तमान समाजक दशा-दिशाकेँ नाटकरकार देखबैत अछि।
लोकार्पण सत्रक पछाइत कथा सत्रमे प्रवेश भेल। अध्‍यक्ष मण्‍डलक गठन भेल। श्री नारायण यादव, डॉ. योगानन्‍द झा, श्री अरविन्‍द ठाकुर आ श्री जगदीश प्रसाद मण्डल चयनित भेला। एवम् मंच संचालन हेतु डॉ. योगेन्‍द्र पाठक ‘वियोगी’, श्री दुर्गानन्‍द मण्‍डल, उमेश मण्‍डल तथा श्री नन्‍द विलास राय।
कुल सात पालीमे प्राय: तीन-तीन गोट कथा पाठ भेल एवम्‍ पठित कथा सभपर आलोचक लोकैन आलोचना केलैन। विवरण निम्न अछि-
पहिल पालीमे-
1. हमर भीतरका सियाना : अरविन्‍द ठाकुर
2. आशीर्वाद : राम विलास साहु
 
3. कौआ के बौआ : प्रीतम निषाद
प्रथम पालीक पठित कथापर आलोचना केलैन-
डॉ. शिव कुमार प्रसाद, नन्‍द विलास राय, डॉ. योगानन्‍द झा।
दोसर पाली-
4. विघटन : जगदीश प्रसाद मण्‍डल
5. दिलजान आंटी : शम्‍भु सौरभ
6. कृतघ्‍न : आनन्‍द मोहन झा
आलोचना- कमलेश झा, नारायण यादव, दुर्गानन्‍द मण्‍डल।
तेसर पाली-
7. सरकार हम पापी छी : नन्‍द विलास राय
8. संवेदनाक शरण : आनन्‍द कुमार झा
9. घरवालीक झिरकी : लक्ष्‍मी दास
आलोचना- राजदेव मण्‍डल, अरविन्‍द ठाकुर, राम विलास साहु तथा दुर्गानन्‍द मण्‍डल।
चारिम पाली-
10. जएह अपन सएह आन : अजय कुमार दास ‘पिन्‍टु’
11. गामे बीरान भऽ गेल : कपिलेश्वर राउत
12. पथिक : विद्याचन्‍द्र झा
आलोचना- गोविन्‍दाचार्य, कमलेश झा, उमेश मण्‍डल, योगान्‍द झा।
पाँचिम पाली-
13. उपरारि जमीन : उमेश मण्‍डल
14. होनी-अनहोनी : नारायण यादव
15. स्‍वार्थान्‍ध : बेचन ठाकुर
आलोचना- योगेन्‍द्र पाठक ‘वियोगी’, राजदेव मण्‍डल, दुर्गानन्‍द मण्‍डल।
छठम पाली-
16. जुड़शीतल : शारदा नन्‍द सिंह
17. निर्णय : योगेन्‍द्र पाठक ‘वियोगी’
18. मानव आ माछ : राधाकान्‍त मण्‍डल
आलोचना- कपिलेश्वर राउत, प्रीतम निषाद, नन्‍द विलास राय।
सातम पाली-
19. स्‍वाभिमान : उमेश पासवान
20. विश्वास : आनन्‍द मोहन झा
21. होइ छै गोहाय : शारदा नन्‍द सिंह
22. कर्मक फल : दुर्गानन्‍द मण्‍डल
आलोचना- कमलेश झा, आनन्‍द झा, संजीव कुमार ‘शमा’ डॉ. शिव कुमार प्रसाद।
ऐगला आयोजन अर्थात्‍ सगर राति दीप जरय’क 95म खेपक आयोजन लेल माला उठौलैन श्री नारायण यादवजी। नारायण यादवजी अवकाश प्राप्‍त शिक्षक छैथ, कथाकार एवं आलोचक सेहो छैथ। जयनगरमे रहै छैथ, डुमरा घर छिऐन। श्री यादवजी दीप-पंजी हस्‍तगत करैत कहलैन- ‘ओना तँ हम रहै छी जयनगरमे मुदा जहिना सगर राति दीप जरयक यात्रा किछु दिनसँ गाम दिस मुखर अछि तहिना हमहूँ गामेमे अर्थात्‍ जलसैन डुमरामे पनचानबेअम आयोजन कराएब।’
हलाँकि भावी संयोजक आयोजनक तिथि सेहो निर्धारित क’ लेलाह मुदा ओ अखन दूमर्जा अछि तँए संभावित तिथि- सितम्‍बर मासक पहिल शनि।
1990 इस्‍वीसँ आइ धरिक 'सगर राति दीप जरय'क आयोजनक विवरण- (क्रम संख्या, स्‍थानक नाओं एवं तिथि सहित- उमेश मण्‍डल) 
1.
मुजफ्फरपुर
21.01.1990
2.
डेओढ़
29.04.1990
3.
दरभंगा
07.07.1990
4.
पटना
3.11.1990
5.
बेगुसराय
13.01.1991
6.
कटि‍हार
22.04.1991
7.
नवानी
21.07.1991
8.
सकरी
22.10.1991
9.
नेहरा
11.10.1992
10.
वि‍राटनगर
14.04.1992
11.
वाराणसी
18.07.1992
12.
पटना
19.10.1992
13.
सुपौल 1
18.10.1993
14.
बोकारो
24.04.1993
15.
पैटघाट
10.07.1993
16.
जनकपुर
09.10.1994
17.
इसहपुर
06.02.1994
18.
सरहद
23.04.1994
19.
झंझारपुर
09.07.1994
20.
घोघरडीहा
22.10.1994
21.
बहेरा
21.01.1995
22.
सुपौल (दरभंगा)
08.04.1995
23.
काठमांडू
23.09.1995
24.
राजवि‍राज
24.01.1996
25.
कोलकाता
रजत जयंती
28.12.1996
26.
महिषी
13.04.1997
क्र.सं.
स्‍थान
ति‍थि‍
27.
तरौनी
20.06.1997
28.
पटना
18.07.1997
29.
बेगूसराय
13.09.1997
30.
खजौली
04.04.1998
31.
सहरसा
18.07.1998
32
पटना
10.10.1998
33.
बलाइन; नागदह
08.01.1999
34.
भवानीपुर
10.04.1999
35.
मधुबनी
24.07.1999
36.
अन्‍दौली
20.10.1999
37.
जनकपुर
25.03.2000
38.
काठमांडू
25.06.2000
39.
धनबाद
21.10.2000
40.
बि‍टठो
21.01.2001
41.
हटनी(घोघरडीहा)
19.05.2001
42.
बोकारो
25.08.2001
43.
पटना (कि‍रणजयंती)
01.12.2001
44.
राँची
13.04.2002
45.
भागलपुर
24.08.2002
46.
वि‍द्यापति‍ भवन पटना
16.11.2002
क्र.सं.
स्‍थान
ति‍थि‍
47.
कोलकाता
22.01.2003
48.
खुटौना
07.06.2003
49.
बेनीपुर
20.09.2003
50.
दरभंगा
21.02.2004
51.
जमशेदपुर
10.07.2004
52.
राँची
02.10.2004
53.
देवघर
08.01.2005
54.
बेगूसराय
09.04.2005
55.
पूर्णियाँ
20.06.2005
56.
पटना
03.11.2005
57.
जनकपुर (नेपाल)
12.08.2006
58.
जयनगर
02.12.2006
59.
बेगूसराय
10.02.2007
60.
सहरसा
21.07.2007
61.
सुपौल-2
01.12.2007
62.
जमशेदपुर
03.05.2008
63.
राँची
19.07.2008
64.
रहुआ संग्राम
08.11.2008
65.
पटना कथा
गंगा-3
21.02.2009
66.
मधुबनी
30.05.2009
67.
मानारायटोल नरहन- समस्‍तीपुर
05.09.2009
68.
सुपौल- 3
05.12.2009
69.
जनकपुर
03.04.2010
70.
कबि‍लपुर (दरभंगा)
12.06.2010
71.
बेरमा (झंझारपुर)
स्‍थान- मध्‍य वि‍द्यालय परि‍सर- बेरमा।
(सार्वजनि‍क स्‍थलपर)
02.10.2010
72.
सुपौल
04.12.2010
73.
महि‍षी
कथा राजकमल
05.03.2011
74.
हजारीबाग
10.09.2011
75.
पटना
हीरक जयन्‍ती
10.12.2011
76.
चेन्नै
14.07.2012
77.
दरभंगा
कि‍रण जयन्‍ती
01.12.2012
क्र.सं.
स्‍थान
ति‍थि‍
78.
घनश्‍यामपुर
09.03.2013
79.
औरहा
(लौकही)
(सार्वजनि‍क स्‍थलपर)
15.5.2013
80.
निर्मली
(स्‍थान- मानि‍क राम-बैजनाथ बजाज धर्मशाला, सुभाष चौक, निर्मली- सुपौल)
30.11.2013
81.
देवघर
(स्‍थान- बि‍जली कोठी, बम्‍पासटॉन, देवघर)
22.03.2014
82.
मेंहथ
(झंझारपुर)
कथा बौध सि‍द्ध मेहथपा
31.05.2014
83.
सखुआ-भपटि‍याही
सार्वजनि‍क स्‍थान- उत्‍क्रमि‍त मध्‍य वि‍द्यालयल परि‍सर।
30.08.2014
84.
बेरमा
मध्‍य विद्यालय
परिसर
(बेरमा,मधुबनी)
20.12.2014
85.
भागलपुर
‘श्‍याम कुंज’
(द्वारिकापुरी
भागलपुर)
04.04.2015
86.
लकसेना
उनमुक्‍त आश्रमक
गांधी सभा कक्ष
जिला- मधुबनी
20.06.2015
87.
श्‍यामा रेसिडेन्‍सी कॉम
 
विवाह हॉल
(एस.बी.आइ. केम्‍पस)
निर्मली (सुपौल)
19.09.2015
88.
मध्‍य विद्यालय- डखराम (बेनीपुर)
30.01.2016
89.
लौकही
स्‍थान: सूर्य प्रसाद उच्‍च विद्यालय- लौकही
26.03.2016
90.
लक्ष्‍मीनियाँ
(मधुबनी)
18.06.2016
91.
गोधनपुर
(मिथिला दीपसँ उत्तर) जिला- मधुबनी
24.9.2016
92.
नवानी
(मधुबनी)
31.12.2016
93.
रतनसारा
(घोघरडीहा)
जिला- मधुबनी
25.03.2017
94.
लौफा
(मधेपुर)
जिला- मधुबनी
24.06.2017

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